इसका इस्तेमाल करके पराली को 20 से 30 दिन के अन्दर गला कर खेत की मिट्टी में मिला कर खेत की उपजाऊ शक्ति वर्धन कर सकता है।

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सीआरएम स्कीम के तहत फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर किसानों को किया जागरुक

कुरुक्षेत्र 30 सितंबर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. प्रदीप मिल ने कहा कि गांव बचगांवा में सीआरएम व आत्मा के अंतर्गत धान की सीधी बिजाई एवं फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इन किसान गोष्ठी में मुख्य रूप से किसानों को धान की सीधी बिजाई एवं फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई।

गांव बचगावां में कृषि विभाग के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने धान के फसल अवशेष प्रबंधन हेतु मशीनों पर अनुदान दिया है जिसके फलस्वरूप इस समय किसी भी क्षेत्र में कृषि यंत्रों की कोई समस्या नहीं है। सरकार द्वारा गांव-गांव किसानों के समूह बना कर उनको 80 फीसदी अनुदान देकर कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करवाए है ताकि छोटे से छोटा किसान भी किराये पर कृषि यंत्र का उपयोग कर के फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन कर सके एवं आने वाली फसलों हेतु अपनी जमीन को और भी उपजाऊ बना सके। सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन पर एक परियोजना जारी की है जिसके अंतर्गत यदि किसान धान की पराली की बेलर मशीन द्वारा गांठ बना कर किसी संस्था, पंचायत या गौशाला में देता है तो सरकार उसे 1 हजार रुपए प्रति एकड़ अनुदान देगी, इसके लिए किसान को कृषि विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण करवाना होगा एवं किसान का मेरी फसल मेरी ब्यौरा पर पंजीकृत होना अति आवश्यक है।

कृषि विकास अधिकारियों ने बताया कि धान की सीधी बिजाई करके किसान पानी व लेबर की भरपूर बचत कर सकते है। उन्होंने धान की फसल की कटाई उपरांत फसल अवशेष न जलाने बारे आह्वान किया क्योंकि फसल अवशेष जलाना न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है बल्कि भूमि में मौजूद जैविक कार्बन, मित्र कीट एवं फसल के पोषण में आवश्यक भूमिका निभाने वाले सूक्ष्म जीवियों के लिए भी अत्यधिक हानिकारक है। उन्होंने कहा कि किसान मशीनों का इस्तेमाल कर के फसल अवशेष प्रबंधन कर सकता है। किसान डी-कम्पोसर का इस्तेमाल करके पराली को 20 से 30 दिन के अन्दर गला कर खेत की मिट्टी में मिला कर खेत की उपजाऊ शक्ति वर्धन कर सकता है।