किसान हितों के लिए भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक वापस ले हरियाणा सरकार – कुमारी सैलजा
चंडीगढ़, 20 दिसंबर
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार का भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक किसान विरोधी, गरीब विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक है। इसे कृषि विरोधी काले कानूनों की तर्ज पर तुरंत वापस लिया जाए।
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि मानसून सत्र में पारित इस भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक में खामियों के कारण राज्यपाल ने इसे मंजूरी नहीं दी है। सरकार इस विधेयक को किसान हित में वापस ले।
कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ने किसानों की जमीनों को अपने पूंजीपति मित्रों के हवाले करने के लिए यह विधेयक लाया गया था। यह सरकार किसानों को बर्बाद करने और अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। भाजपा जजपा सरकार ने यूपीए सरकार द्वारा किए गए जमीन अधिग्रहण कानून में बदलाव कर किसानों की बर्बादी का एक और नया अध्याय लिखा है। अब पीपीपी मोड वाले प्रोजेक्ट के लिए भी किसानों की सहमति के बिना भूमि का अधिग्रहण किया जा सकेगा। सरकार ने संशोधन के जरिए हरियाणा प्रदेश की जमीन हड़पने की तैयारी की है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि पहले पीपीपी मोड के तहत बनने वाले प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण को 70 प्रतिशत किसानों की सहमति जरूरी थी, लेकिन अब जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों से सहमति नहीं ली जाएगी। इससे बड़ा अत्याचार किसानों के साथ और क्या होगा कि उनकी जमीन बिना उनकी सहमति के छीन ली जाएगी। इस संशोधन से कलेक्टर की शक्ति बढ़ जाएगी और सरकार जैसा चाहेगी वैसी मनमर्जी किसानों के खिलाफ कर पाएगी। किसानों के लिए अधिक नुकसानदेह बात यह भी है कि अब जमीन अधिग्रहण करते समय सामाजिक प्रभाव व जमीन से होने वाली कृषि पैदावार का मूल्यांकन भी नहीं किया जाएगा।
कुमारी सैलजा ने कहा कि कोई नोटिस जारी न करने का प्रावधान भी बेहद खतरनाक है। इससे यह पता नहीं चल पाएगा कि जमीन पर अधिग्रहण किसान की मर्जी से हुआ है या नहीं, क्योंकि जब नोटिस ही जारी नहीं होगा तो जांच कैसे होगी? किसान को तुरंत जमीन से हटाया जा सकेगा। किसान कहां जाएगा? रात 12 बजे भी जमीन खाली कराई जा सकती है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि किसानों को बर्बाद करने के लिए पहले केंद्र की भाजपा सरकार ने तीन कृषि विरोधी काले कानून बनाए लेकिन किसानों के सत्याग्रह और शांतिपूर्ण आंदोलन के सामने आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और सरकार को तीनों काले कानून रद्द करने पड़े। हरियाणा सरकार को भी इससे सबक लेना चाहिए कि देश और प्रदेश के किसान ऐसे कदम किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे जो उनके अधिकारों को कुचलता हो।