खौफनाक था वैष्णो देवी भवन में भगदड़ का मंजर
- एक-दूसरे को कुचलकर जान बचा रहे थे श्रद्धालु
माता वैष्णो देवी भवन की भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई जबकि 15 से अधिक लोग घायल हो गए. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि नववर्ष के मौकों पर वहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी, मगर उसके हिसाब सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए थे. हादसे का मंजर काफी भयानक था. लोग एक दूसरे को कुचलकर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे. महिलाएं और बच्चे दबे हुए थे. भगदड़ एक जनवरी की रात 2:45 बजे शुरू हुई. भवन के 3 नंबर गेट पर कुछ लोगों के बीच कहा-सुनी हो गई. इसके बाद लोगों ने एक दूसरे को धक्का देना शुरू कर दिया. देखते ही देखते वहां भगदड़ मच गई. भीड़ ज्यादा होने की वजह से कई लोग दब गए. इस भगदड़ में कई लोग अपने परिजनों से बिछड़ गए. हादसे के चश्मदीदों का कहना है कि नए साल माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे, निकलने तक का कोई रास्ता नहीं था. बताया जा रहा है कि चेक पोस्ट पर श्रद्धालुओं की पर्ची चेक नहीं की जा रही थी. इसी वजह से भवन परिसर में भारी भीड़ थी.
इसी बीच हादसे को सबसे नजदीक से देखने वाले हिमांशु अग्रवाल ने बताया कि वह हरियाणा में पानीपत के खैल बाजार का रहने वाला है। वह अपने दोस्त राघव, हिमांशु शर्मा, जतिन और भारत के साथ दो दिन पहले वैष्णो देवी दर्शन के लिए गया था।
वह दर्शन करके लौट रहे थे। रात करीब ढाई से पौने तीन बजे का समय होगा। दर्शन करने जाने वाले और दर्शन करके वापस आने वाले सभी लोगों की भीड़ चेक पोस्ट 3 के नजदीक जमा हो गई। अब यहां से न ही आने का रास्ता बचा और न ही जाने का रास्ता बचा था।
मगर वहां व्यवस्था संभाल रहे CRPF जवानों ने बहुत ही गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया। भीड़ को थोड़ा-थोड़ा आगे-पीछे करने के बजाय उन्होंने डंडों से लोगों को डराना और धमकाना शुरू कर दिया। वे डराते धमकाते हुए बोल रहे थे कि किसी VIP को आना है, उन्हें दर्शन करवाने हैं, रास्ता जल्दी खाली करो। मगर जवानों ने यह नहीं देखा कि वहां मूवमेंट की बिल्कुल भी जगह नहीं थी। फिर भी डर की वजह से लोग वहां से तेजी से आगे-पीछे होने लगे। हम भी उसी लाइन में थे, जहां से लोगों की सबसे पहले मूवमेंट हुई थी।