झींडा ने माफी मांगी, 2 लाख मुआवजे को लेकर अभी भी संदेह

किसानों का चौधरी बनने कीे झींडा व चढूनी के बीच छिड़ी जंग थमी
झींडा ने माफी मांगी, 2 लाख मुआवजे को लेकर अभी भी संदेह
करनाल(NIRMALSandhu):बसताड़ा टोल प्लाजा पर लाठी चार्ज के दौरान घायल हुए किसानों तथा शहीद किसान को दिए गए मुआबजे को लेकर चले आ रहे विवाद का आज सत्कार सभा में शामिल पंच प्यारों की जांच के बाद रिपोर्ट आने के साथ सुलझ गया। सत्कार सभा में शामिल पंच प्यारों ने कहा कि घायल हुए दस किसानों को दो- दो लाख रुपए दिए। वहीं पर शहीद हुए परिवार को पच्चीस लाख रुपए दिए। इसकी जांच पूरी कर ली गई हैं। सभी को पैसा पहुंचा हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को पूरा पैसा मिला हैं। लेकिन चढूनी द्वारा कहा गया कि 45 लाख रुपए दिए हैं। लेकिन जांच के दौरान पाया गया कि सैतालीस लाख रुपए दिए गए। दो लाख रुपए कहां से आए। इसका पता नहीं चल पाया हैं।
पिछले दिनों सरकार और किसानों के बीच समझौते के बाद पर्दे के पीछे अप्रत्यक्ष रूप से घायल हुए किसानों तथा शहीद के परिवार को मुआवजा दिया गया। इसके बाद हरियाणा सिख गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष जगदीश सिंह झिडा ने कहा कि उन्हें भाकियू नेता गुरनाम चढूनी पर शक हैं कि उसने शहीद हुए किसान के परिवार तथा घायल हुए किसानों को पूरा पैसा नहीं दिया गया हैं। उन्हें चढृूनी की नीयत पर संदेह है। इसके बाद चढूनी तथा झिंडा के बीच विवाद पैदा हो गया। इसके बाद झिंडा गांव में किसानों की पंचायत हुई। जिसमें पंच प्यारों की सत्कार सभा बनाई गई। इसमें कुलदीप सिंह रुकसाना, सुल्तान सिंह जलमाना, गुरुदीप सिंह पक्का ख्चोड़ा, गुरुबचन सिंह पक्का खेड़ा, गुरुभेज सिंह जलमाना को शामिल किया। इसको इस मामले में जांच की जिम्मेदारी दी गई। जांच कमेटी में शामिल सिंह साहिवान से जब पूछा कि पैंतालीस लाख रूपए की बात को कही हैं, आप ने 47 लाख की बात कही है। फिर दो लाख किसें दिए गए। दो लाख कहां से आए। इस पर उन्होंने अपत्यक्ष रूप से उतर दिया कि जिनकी गाडिय़ा क्षतिग्रस्त हुई थी, उन्हें मुआवजा दिया गया। इसके बाद भी लोगों में संदेह देखा गया। सत्कार सभा में शामिल साहिवान ने कहा कि उन्होंने झिंडा का पेटा भर दिया हैं। अब झिंडा मुआबजे की बात नहीं कहेंगे।
इस अवसर पर हरियाणा सिख गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा ने कहा कि उनका पेटा भर गया हैं। वह अब मुआवजे की बात नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तररह से चढृूनी ने गुप चुप तरीके से सरकार से मुआबजें के लिए पैसे लिए और बिना औरों को साथ लिए मुआवजा दिया। उससे संदेह पैदा होना लाजमी हैं। वह किसानों की एकता के समर्थक हैैं। उन्होंने कहा कि जब संयुक्त मोर्चे वाले गुप चुप तरीके से नरेंद्र तौमर से बात करते थे तो किसी को आपत्ति नहीं लेकिन जब वह मुख्यमंत्री से बात की तो लोग उन्हें भाजपा का एजेंट कहने लगे। उन्होंने कहा कि मेरा जीवन खुली किताब की तरह से हैं। उन्होंने यह कहकर माफी भी मांगी कि यदि मेरी बात से किसी को ठेस पहुंची हो तो वह माफी मांगते हैं। वह किसानों के साथ किसी भी प्रकार के अन्याय के खिलाफ हैं।