नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। लोगों को सोने की शुद्धता का पता नहीं होता है, जिसका फायदा उठाकर ज्वैलर्स ग्राहकों को बिना हॉलमार्क वाला कम कैरेट वाला सोना या अशुद्ध सोना थमा देते हैं, जो कुछ दिनों बाद खराब होने लगता है। वहीं, जब आप उस सोने को वापस करने या बदलने जाते हैं, तो आपको उसका कम रेट मिलता है। इन सभी समस्याओं को खत्म करने के लिए सरकार ने हॉलमार्किंग का नया नियम बनाया। इस साल 1 जून से इसका दूसरा चरण लागू हो जाएगा। देश के 256 जिलों में इसका पहला चरण 23 जून 2021 को लागू किया गया था। इसके लागू होने के बाद ज्वैलर्स बिना हॉलमार्क वाला सोना नहीं बेच सकेंगे।
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हॉलमार्क वाला सोना प्रमाणित सोना होता है, जो गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया से गुजरता है, जिसे हॉलमार्किंग कहा जाता है। भारत सरकार के तहत एक एजेंसी बीआईएस सोने की शुद्धता और सुंदरता को प्रमाणित करने के लिए हॉलमार्किंग की इस प्रक्रिया को अंजाम देती है। ग्राहकों द्वारा खरीदे गए सभी सोने के आभूषणों और सोने की कलाकृतियों के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य है, भले ही खरीदे गए सोने की शुद्धता ग्रेड कुछ भी हो।
सोने की हॉलमार्किंग ग्राहक के लिए विश्वास को बढ़ाती है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि जो सोना वे खरीद रहे हैं वह ठीक वैसी ही शुद्धता है, जैसा कि हॉलमार्क में बताया गया है। यह नियम लागू होने के बाद नकली सोना बेचने वालों की अब खैर नहीं होगी। हॉलमार्क के बगैर सोना बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।