पानी का व्यवसाय करने वालों के कारोबार पर मंडराया खतरा बड़ी खबर

जल संरक्षण को लेकर तैयार होगी जिला योजना, बोतल बंद, कैम्पर तथा बोर से पानी निकालने वाली यूनिटों का किया जाएगा औचक निरीक्षण, एन.ओ.सी. और अन्य नियमों की पालना न करने वाली यूनिटों के खिलाफ होगी कार्रवाई, निरीक्षण के लिए चार सदस्यीय कमेटी का किया गठन-उपायुक्त निशांत कुमार यादव।
करनाल 1 अक्तूबर, जल संरक्षण को लेकर एक जिला योजना तैयार होगी। शुक्रवार को लघु सचिवालय के सभागार में उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने जिला में खनिज युक्त, पैक्ड बोतल तथा कैम्परों में सप्लाई होने वाले पेयजल की क्वालिटी और इसके लिए जिला में लगाए गए यूनिटों की चैकिंग को लेकर कुछ अधिकारियों के साथ एक मीटिंग की। उन्होंने बताया कि अब ऐसी यूनिटों का औचक निरीक्षण किया जाएगा तथा जो भी यूनिट बिना एन.ओ.सी. के चालू है, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
मीटिंग में अधिकारियों ने बताया कि पीने के पानी को पैकिंग में तथा कैम्परों में भरकर सप्लाई करने वाली दो औद्योगिक और 8 अन्य यूनिटें जिला में काम कर रही हैं। कैम्पर सप्लाई करने वालों की संख्या कितनी है, इनका सही अनुमान लगाने के लिए उपायुक्त ने मीटिंग में मौजूद नगर निगम के ई.ओ. देवेन्द्र नरवाल को निर्देश दिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी, पेयजल सप्लाई करने वाली यूनिटों की जानकारी देंगे।
शहर की पुरानी सब्जी मण्ड़ी के पास जल भवन में स्थित राज्य प्रयोगशाला के चीफ केमिस्ट अमित राणा ने बताया कि कोई भी यूनिट नियमानुसार पीने के पानी को बोतलो में सील करके नहीं बेच सकती। इस काम के लिए आई.एस.आई. कोड लेना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि करनाल में पीने के पानी में केमिकल की क्वालिटी अच्छी है, लेकिन कैम्परों में भरकर जिस पानी की सप्लाई हो रही है, उनकी अच्छे से सफाई नहीं की जाती और वे बेकटीरिया युक्त हो जाते हैं। इस पर उपायुक्त ने कहा कि अब ऐसी यूनिटों और बोर से निकालने वाले पानी की प्रत्येक यूनिट को एक कमेटी चैक करेगी। इसके लिए उन्होंने ए.डी.सी. की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित की, जिसमें एडीसी, जन स्वास्थ्य व सिंचाई विभाग के एक्सईएन तथा चीफ केमिस्ट शामिल रहेंगे। ये कमेटी सभी तरह की यूनिटों का निरीक्षण कर एन.ओ.सी. प्राप्त की गई है या नहीं, की जांच करेगी। उन्होंने कहा कि वाटर रिर्सोस एक्ट की नई गाईडलाईन के मुताबिक बोर से प्रतिदिन 10 हजार लीटर पानी निकाला जा सकता है, इससे ज्यादा नहीं।
मीटिंग में मौजूद जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि पहले सेंट्रल गाउण्ड वाटर अथोरिटी थी, इसके बाद हरियाणा वाटर रिर्सोसिज अथोरिटी का गठन हुआ। जन स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियर इन चीफ सतबीर कादियान, इसके सीईओ हैं तथा सेवानिवृत्त मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा को चेयरपर्सन बनाया गया है। एक एक्सपर्ट सहित कुछ अन्य मैम्बर भी हैं।
मीटिंग में उप निदेशक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग डॉ. आदित्य डबास, अधीक्षण अभियंता संजय राहर, कार्यकारी अभियंता राजेश चौपड़ा तथा ग्राउण्ड वाटर सेल के डॉ. महावीर सिंह भी मौजूद थे।