फ्लोरोसिस बीमारी को लेकर गंभीर हुआ स्वास्थ्य विभाग
-नागरिक अस्पताल में हुआ फ्लोरोसिस की रोकथाम एवं नियंत्रण पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम
जींद, 9 अक्टूबर।
स्थानीय नागरिक अस्पताल में राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में पहुंची गर्भवती महिलाओं को जिला परामर्शदाता एवं उप-सिविल सर्जन डॉ रमेश पांचाल ने बताया कि जिले के ज्यादातर गांव व शहर के पीने योग्य पानी में फ लोराईड का स्तर सामान्य से ज्यादा है। जिस कारण जिले को इस वर्ष राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम के लिए चुना गया।
डॉ. रमेश पांचाल ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को सीधे जमीन या नलकूपों से प्राप्त पानी का सेवन करने से बचना चाहिए, फ्लोराइड युक्त भोजन जैसे कि काली चाय, काला नमक, तम्बाकू, सुपारी या मछली का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट नहीं करना चाहिए। महिलाओं को प्रचुर मात्रा में हरी सब्जी, इमली, नींबू, आंवला, संतरा, टमाटर, दूध एवं दूध से बने पदार्थ, कैल्शियम, विटामिन ब्एक् व आयरन आदि का सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाएं यदि फ्लोराइड युक्त पानी का सेवन करती हैं तो उनके होने वाले बच्चों के दांत पीले पड़ जाते हैं।
डॉ रमेश पांचाल ने महिलाओं को बताया कि प्रसुति उपरांत महिलाओं को टूथब्रश करना शुरू कर देना चाहिए। प्राय: देखने में आया है कि महिलाओं में प्रसुति उपरान्त टूथब्रश न करने की रूढ़िवादी परंपरा चली आ रही है जो कि दांतों के स्वास्थ्य दृष्टि से सही नहीं है।
-फ्लोरोसिस बीमारी के मुख्य लक्षण-
डॉ रमेश पांचाल ने बताया कि इस बीमारी के मुख्य लक्षण उल्टी आना, भूख कम लगना, पेट में दर्द होना, गैस बनना, पेट फूलना, दांतों में पीले धब्बे पड़ना, बार-2 पेशाब आना, अत्यधिक प्यास लगना, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द रहना, लंबी दूरी तक चलने में असमर्थ आदि फ्लोरोसिस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भरपूर मात्रा में सब्जियों, फलों, दूध तथा दुग्ध उत्पादों का सेवन करें। कार्यक्रम में दंत-चिकित्सक डॉ पूनम लोहान, डॉ विशाल पोरस एवं वार्ड सहायक भूपेन्द्र, सुनील, अशोक, विनोद उपस्थित रहे।