मनीष ग्रोवर की तरफ कोई आंख उठाएगा तो उसकी आंख निकाल लेंगे, कोई हाथ उठाएगा तो उसके हाथ काट लेंगे:अरविंद शर्मा 

मनीष ग्रोवर की तरफ कोई आंख उठाएगा तो उसकी आंख निकाल लेंगे, कोई हाथ उठाएगा तो उसके हाथ काट लेंगे:अरविंद शर्मा

#रोहतक_6नवम्बर : सांसद अरविंद शर्मा ने किलोई मंदिर प्रकरण के एक दिन बाद छोटूराम चौक पर खड़े होकर कांग्रेस और दीपेंद्र हुड्‌डा कान खोल कर सुन लें, मनीष ग्रोवर की तरफ कोई आंख उठाएगा तो उसकी आंख निकाल लेंगे, कोई हाथ उठाएगा तो उसके हाथ काट लेंगे। उसको छोड़ेंगे नहीं। कांग्रेस सत्ता के लिए छटपटा रही है। मगर यह बात भी लिख लो कि भाजपा 25 साल राज नहीं छोड़ेगी।

 

 

 

 

 

अशोक नगर मार्केट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने 

 

सीवर चालू कराने के लिए प्रशासन से की मांग

 

 

 

अशोक नगर मार्केट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने

सीवर चालू कराने के लिए प्रशासन से की मांग

 

अशोक नगर मार्केट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सरपरस्त कामरेड पुष्पेंद्र शर्मा की अध्यक्षता में मीटिंग की। मीटिंग में अशोक नगर बाजार की महत्वपूर्ण समस्याओं और उनके समाधान के बारे रूपरेखा तैयार की गई। कामरेड पुष्पेंद्र शर्मा ने मीडिया के माध्यम से सबसे महत्वपूर्ण सीववरेज समस्या के शीघ्र समाधान के लिए प्रशासन से मांग की। उन्होंने कहा की सरकार ने करोड़ो रुपए खर्च करके सीवर डाल रखे हैं जो की बहुत समय से बंद पड़े है । ऊपर से प्रदेश में डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है । उन्होंने सरकार से मांग की कि इन्हे शीघ्र चालू किया जाए । ताकि जनता को लाभ हो व सरकार के पैसों का सही उपयोग हो।

इस मौके पर प्रधान हीरा कपूर, सरपरस्त कामरेड पुष्पेंद्र शर्मा, बॉबी कपूर, राजेश कुकरेजा, अंकित मालिक, वेद खुराना आदि ने मीटिंग में अपने सुझाव दिए ।

 

सांसद ने कहा कि कांग्रेस चक्कर काटती रहेगी। ऐलनाबाद में इनकी जमानत जब्त हो गई। रोहतक और झज्जर के लोगों के अलावा इनको कोई पूछने वाला नहीं है।

 

 

सांसद ने कहा कि कांग्रेस चक्कर काटती रहेगी। ऐलनाबाद में इनकी जमानत जब्त हो गई। रोहतक और झज्जर के लोगों के अलावा इनको कोई पूछने वाला नहीं है। इन लोगों के शरारती तत्वों को जिस दिन इस बात का आभास हो गया कि हुड्‌डा परिवार से कोई भी सीएम नहीं बनेगा, उस दिन ये शरारती तत्व ही इनके जूते मार देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि रोहतक लोकसभा सीट मनीष ग्रोवर की वजह से ही भाजपा के खाते में आई थी।

 

अरविंद शर्मा ने कहा कि किलोई में सिर्फ एक ही शर्त थी कि मनीष ग्रोवर माफी मांगें। मगर वहां 500 से ज्यादा भाजपा के कार्यकर्ता थे, सभी ने ठान ली कि जब तक मनीष ग्रोवर यहां से नहीं जाएंगे, वह भी नहीं जाएंगे। भूखे-प्यासे वहीं बैठे रहे। किसान आंदोलन की आड़ में जो भी ये शरारत कर रहे हैं, ये कांग्रेस के नहीं, बल्कि भूपेंद्र हुड्‌डा के आदमी है।

उन्होंने कहा कि धार्मिक कार्यक्रमों का विरोध निंदनीय है। किसान इस तरह की घटना नहीं कर सकते। चूंकि ये कांग्रेस कार्यकर्ता थे, जो भूपेंद्र हुड्डा के कहने पर वहां गए थे।

 

 

 

 

 

 

 

*DRDA पर लटकेंगे ताले*

*ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों को भेजा पत्र*

*जानिए DRDA में क्या क्या होते थे काम*

*जिला परिषद में ट्रांसफर होगा फंड, कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित*

 

सीधे तौर पर ग्रामीण विकास से जुड़े जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (DRDA) पर केंद्र सरकार की तरफ से तालाबंदी का फरमान जारी हो गया। चालू वित्त वर्ष की समाप्ति के साथ ही 1 अप्रैल 2022 से ये बंद कर दिए जाएंगे। इससे पहले 31 जनवरी को इनके पास बकाया राशि को जिला परिषदों को ट्रांसफर किया जाएगा। कर्मचारियों को भी अन्य विभागों में सम्माहित किया जाएगा। मरनरेगा हो या पीएम आवास योजना या फिर सांसद निधि जैसी दर्जनभर से ज्यादा ग्रामीण विकास की योजनाओं का क्रियान्वयन डीआरडीए से ही होता था।

अब जिप में होगा विलय

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 1 नवंबर को राज्य सरकारों को लिखे पत्र में DRDA को 1 अप्रैल, 2022 से बंद करने की जानकारी दी है। मंत्रालय के अपर सचिव संजय कुमार ने सभी राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों को बताया है कि वे इसके लिए क्या-क्या कदम उठा सकते हैं। पत्र पर गौर करें तो DRDA को अब जिला परिषद के साथ विलय कर सकते हैं।

 

 

 

DRDA बंद होने के साथ ही इसमें काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी नहीं जाएगी

 

 

कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित

DRDA बंद होने के साथ ही इसमें काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी नहीं जाएगी। कर्मियों को योग्यता के अनुसार काम में लिया जाएगा। DRDA में प्रतिनियुक्ति पर काम करने वाले कर्मचारियों को उनके मूल विभाग में वापस सम्माहित किया जा सकता है। DRDA में काम करने वालों को भी योग्यता के अनुसार अन्य विभागों में भेजा जा सकता है। यदि ऐसा फिटमेंट संभव नहीं है और जैविक नहीं है, तो उन्हें मनरेगा जैसी योजनाओं के साथ रखा जा सकता है। पीएमएवाई, एनएसएपी आदि में भी उनकी क्षमता और योग्यता के अनुसार नियुक्ति दी जा सकती है।

फंड होगा ट्रांसफर

DRDA को बंद करने की प्रक्रिया नए साल में जनवरी से ही शुरू हो जाएगी। डीआरडीए को जो फंड विभिन्न योजनाओं में जारी किया गया है। उसका जनवरी में ऑडिट कराया जाएगा। इसके बाद इनके पास जो भी राशि शेष होगी, उसे जिला परिषदों को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। 31 जनवरी को यह कार्य पूरा किया जाना है।

जिला परिषद का बढ़ेगा दायरा

DRDA की तालाबंदी के बाद अब ग्रामीण विकास की जिम्मेदारी सीधे तौर पर जिला परिषद के कंधों पर होगी। प्रदेश में अभी जिला परिषद के कार्यालय DRDA भवनों में ही चल रहे थे। DRDA के चेयरमैन की जिममेदारी एडीसी निभा रहे थे। गांवों में विकास की योजना जिला परिषद तय करती थी और इनका क्रियान्वयन जिला परिषदों के तहत होता था। एडीसी की अध्यक्षता में जिला परिषदों की बैठक होती थी।

DRDA में ये होते थे काम

डीआरडीए के अधीन एक दर्जन से अधिक योजनाओं पर काम होता था। मनरेगा के काम हों या फिर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना या फिर सांसद निधि के काम, सभी में राशि DRDA के जरिए की जारी की जाती थी। प्रधानमंत्री आवास योजना, सोर उर्जा को बढ़ावा देना, केंद्र की वे योजनाए, जिनमें लोगों को सब्सीडी दी जाती थी, सभी को पूरा करने की जिम्मदारी डीआरडीए के कंधों पर ही थी। अब योजनाओं पर इसको बंद करने से कोई प्रभाव पड़ेगा या नहीं, इसको जानने में वक्त लगेगा।