- हमें अपनी फसलों में रासायनिक खादों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए-कृषि वैज्ञानिक
इन्द्री । कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा हरियाणा कृषि विस्तार एवं प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थान जींद द्वारा प्रायोजित फसल अवशेष प्रबंधन पर खंड तकनीकी प्रबंधक डॉ. रणबीर सिंह की देखरेख में खंड इन्द्री के गांव धूमसी में एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र उचानी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत चौहान व डॉ. नरेन्द्र सिंह ने मुख्य रूप से शिरकत कर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे विस्तार से जानकारी दी। एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र उचानी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत चौहान प्रशांत चौहान ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लाभ व भूमि की मृदा एवं उर्वरा शक्ति बढ़ाने के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि किसान धान के अवशेषों का प्रयोग जैसे की जैविक खाद, मशरूम के कम्पोस्ट के अलावा पशुओं के चारे के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि हम अपनी फसलों में हरी एवं गोबर खाद के अलावा जैविक खादों का प्रयोग करके अधिक पैदावार ले सकते हैं और जैविक खादों का प्रयोग करने से हमारी फसलों में लगने वाली बीमारियों पर भी काफी हद तक अंकुश लग सकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी फसलों में रासायनिक खादों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए, क्योंकि रासायनिक खादों की वजह से ही हमारी फसलों में बीमारियां पैदा होती है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र उचानी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. नरेन्द्र कुमार ने किसानों को बताया कि आधुनिक मशीनों के प्रयोग से धान की पराली का गटठर बनाकर उसका प्रबंधन आसानी से किया जा और यदि किसान कृषि मशीनों के माध्यम से फसल अवशेषों को खेत की मिटटी में ही मिला दें तो इससे न केवल खेत की मिटटी उपजाऊ होगी बल्कि खेत की मिटटी के पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से हमारी भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है, जिसके कारण भूमि के लाभदायक जीवाणु व पोषक तत्व जलकर नष्टï हो जाते हैं। उन्होंने रबी सीजन की फसलों गेहूं व सरसों की किस्मों तथा खरपतवार प्रबंधन के बारे में भी किसानों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने गेहूं की फसल के बारे में किसानों को बताते हुए कहा कि हमें गेहूं बीजने के 21 दिन बाद सिंचाई करनी चाहिए, ऐसा करने से हमारी गेहूं की पैदावार अच्छी होती है। खंड तकनीकी प्रबंधक डॉ. रणबीर सिंह ने किसानों को बताया कि जो किसान अपने खेत में पराली के गटठर बनावायेगें उन्हें सरकार की ओर से 1000 रूपये प्रति एकड की दर से प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी और हमें फसल अवशेष जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से भी निजात मिलेगी। इस मौके पर कृषि विभाग सुपरवाईजर अजय कुमार, प्रगतिशील किसान रूपेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह व कर्मजीत सिंह आदि मौजूद रहें।
दंत चिकित्सक ड़ा.पंकज कांबोज ने एक जटिल आप्रेशन कर महिला के मुंह से तीन पथरियां निकाली
मुख्यमंत्री मुफ्त ईलाज योजना के अंतगर्त नि:शुल्क आप्रेशन किया गया
इन्द्री ।। इन्द्री के सरकारी हस्पताल में कार्यरत दंत चिकित्सक ड़ा. पंकज कांबोज दंत चिकित्सा में रोजाना कुछ ना कुछ नया कार्य कर कीर्तिमान स्थापित कर रहे है। दंत चिकित्सा के क्षेत्र में जो काम पहले प्रदेश के बड़े बड़े हस्पतालों में होते आ रहे है वो अब ड़ा. पंकज कांबोज के प्रयासों व काबलियत से इन्द्री सरकारी हस्पताल में होने शुरू हो गये है। ड़ा. पंकज कांबाज ने आज एक महिला के जबड़े व गर्दन के बीच में बनी कई पथरियों को निकालने में सफलता हासिल की है। इस बारे में जानकारी देते हुए ड़ा. पंकज कांबोज ने बताया कि यमुनानगर के पास से एक महिला उनके पास चैक करवाने के लिये आई थी। इस महिला की थूक की ग्रंथियों में सूजन थी जिसे मैडिकल भाषा में सियालोलिथ सबमांडिबुलर कहा जाता है। उन्होंने बताया कि इस महिला ने पहले यमुनानगर के निकटवर्ती किसी ड़ैटल हस्पताल में अपना निरीक्षण करवाया था जहां पर उससे इस बीमारी के ईलाज पर लगभग तीस हजार रूपये खर्चा आने की बात कही गई। एक ओर चिकित्सक ने इस महिला को पीजीआई चंड़ीगढ़ या रोहतक में अपना ईलाज करवाने की सलाह दी। ड़ा.पंकज ने बताया कि इस महिला को किसी परिचित ने एक बार इन्द्री हस्पताल में अपना चैकअप करवाने की बात कही। उन्होंने बताया कि आज इस महिला का यहां आप्रेशन कर तीन पथरियों को निकाला गया है। अब महिला पूरी तरह से ठीक है ओर कुछ ही दिनों में उसकी दर्द भी ठीक हो जायेगी। उन्होंने बताया कि थूक की ग्रंथि के अंदर से पथरी निकालना बहुत ही जटिल कार्य होता है। यह थूक की ग्रथि जबडे ओर गर्दन के बीच में होती है। इन्द्री सरकारी हस्पताल में यह आप्रेशन मुख्यमंत्री मुफ्त ईलाज योजना के अंतगर्त नि:शुल्क किया गया है। ऐसे आप्रेशनों के लिये अब बड़े बड़े हस्पतालों में जाने की जरूरत नहीं है। यह सुविधा यहां नि:शुल्क उपलब्ध है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भी ड़ा. पंकज कांबोज ने ऐसा ही एक ओर जटिल आप्रेशन कर एक मरीज के जबडे के नीचे से एक बहुत बड़ी पथरी को निकालने में सफलता हासिल की थी।आज पोलिथिन विश्व के समक्ष एक बडी चुनौती बन गया है-नीरू देवी
इन्द्री ।। नेहरू युवा केंद्र करनाल द्वारा ब्लाक इंद्री के मटक माजरी में जिला युवा अधिकारी रेनू सिलग के निर्देशानुसार स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत स्वच्छता अभियान चलाकर ग्रामीणों को जागरूक किया गया। इस अवसर पर सिंचाई विभाग के अधिकारी नवतेज सिंह ने मुख्य रूप से शिरकत करते हुए कहा कि हमारे जीवन में स्वच्छता बहुत जरूरी है क्योंकि स्वस्थ रहने के लिए हमें अपने आसपास को स्वच्छ रखना होगा तभी हम स्वस्थ रह सकते है। जिला युवा अवार्डी नीरू देवी ने अपने बताया कि पोलिथिन विश्व के समक्ष एक बडी चुनौती है। यह ना तो गलता है और ना ही सड़ सकता है। आज हम इसके उपयोग को छोड़ नहीं पा रहे है जबकि हमें पता है कि यह मानव जाति के लिए कितना हानिकारक पदार्थ है। उन्होंने बताया पोलिथिन का इस्तेमाल करके हम न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पंहुचा रहे है, बल्कि गंभीर रोगों को भी न्यौता दे रहे है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2021 शुरू किया हुआ है। उसमें अधिक से अधिक वोटिंग करके अपने जिला करनाल को प्रथम स्थान पर लाने के लिए हम सबको सहयोग करना होगा। इस अवसर पर सफाई कर्मचारी बलविंद्र, व ग्रामीण उपस्थित रहे।