इंद्री सरकारी हॉस्पिटल साबित होता आ रहा है एक सफेद हाथी जहां पर हरियाणा सरकार ने करोड़ों रुपए लगाकर कई मंजिला सरकारी हॉस्पिटल का निर्माण करवाया लेकिन हस्पताल के अंदर कोई भी सुविधाएं दिखाई नहीं पड़ती हालात ऐसे हैं कि वहां पर एक्स-रे मशीन भी नहीं है डॉक्टरों द्वारा सलाह दी जाती है कि बाहर से एक्स-रे करवाएं और इससे बदतर हालात है कि हॉस्पिटल में फोटोस्टेट मशीन भी नहीं है जो कि वह भी बाहर से करवानी पड़ती है और कहीं बार हालात ऐसे होते हैं कि दवाई भी बाहर से ही लानी पड़ती हैं और मामला देख कर चौक जाएंगे कि जो रैबीज के इंजेक्शन की सिरिंज जिसकी कीमत मार्केट में ₹5 है वह भी बाहर से लाने पड़ते हैं आखिर कब तक प्रशासन आंखें मूंदे बैठा रहेगा और जहां पर माननीय स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज जी हरियाणा में सरकारी हॉस्पिटलों की दुहाई देते नजर आते हैं कि स्वास्थ्य सेवाएं हाईटेक और डिजिटल कर दी हैं लेकिन अगर बात करें इंद्री हॉस्पिटल की तो वहां पर कुछ डॉक्टरों के बोलने का बर्ताव ही ऐसा है कि जैसे अनपढ़ लोगों को होता है प्रशासन से और माननीय स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा अनिल विज जी से निवेदन है कि एक बार हॉस्पिटलों में जाकर देखा जाए क्योंकि लगातार लापरवाही के मामले हॉस्पिटलों से आते हैं जहां पर हरियाणा सरकार ने करोड़ों रुपए लगाकर कई मंजिला सरकारी हॉस्पिटल का निर्माण करवाया लेकिन हड़ताल के अंदर कोई भी सुविधाएं दिखाई नहीं पड़ती हालात ऐसे हैं कि वहां पर एक्स-रे मशीन भी नहीं है डॉक्टरों द्वारा सलाह दी जाती है कि बाहर से एक्स-रे करवाएं और इससे बदतर हालात है कि हॉस्पिटल में फोटोस्टेट मशीन भी नहीं है जो कि वह भी बाहर से करवानी पड़ती है !
कहीं बार हालात ऐसे होते हैं कि दवाई हम भी बाहर से ही लानी पड़ती हैं और मामला देख कर चौक जाएंगे कि जो रैबीज के इंजेक्शन की सिरिंज जिसकी कीमत मार्केट में ₹5 है वह भी बाहर से लाने पड़ते हैं आखिर कब तक प्रशासन आंखें मूंदे बैठा रहेगा !
जहां पर माननीय स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज जी हरियाणा में सरकारी हॉस्पिटलों की दुहाई देते नजर आते हैं कि स्वास्थ्य सेवाएं हाईटेक और डिजिटल कर दी हैं लेकिन अगर बात करें इंद्री हॉस्पिटल की तो वहां पर कुछ डॉक्टरों के बोलने का बर्ताव ही ऐसा है कि जैसे अनपढ़ लोगों को होता है प्रशासन से और माननीय स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा अनिल विज जी से निवेदन है कि एक बार हॉस्पिटलों में जाकर देखा जाए क्योंकि लगातार लापरवाही के मामले हॉस्पिटलों से आते हैं!