नई दिल्ली. देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड कंपनी, उसके कुछ शीर्ष अधिकारियों, कुछ अज्ञात सरकारी अधिकारियों और प्राइवेट लोगों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की है. यह एफआईआर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक शिकायत पर दर्ज की गई है. इसमें आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने मिलीभगत के जरिये बैंक से लोन में लिए पैसों को डायवर्ट कर उनका इस्तेमाल दूसरी जगहों पर किया. कई अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया.
यह पूरा मामला अब जांच एजेंसियों के अधीन है. वहीं, एबीजी शिपयार्ड इस समय नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था, जब एबीजी शिपयार्ड को कर्ज देने के लिए बैंकों की लाइन लगती थी. एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, भारतीय जीवन बीमा निगम, आईएफसीआई और यस बैंक इस कतार में खड़े रहते थे.
165 से अधिक जहाज का निर्माण
कंपनी के यार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित थे, जो भारत की शिपिंग इंडस्ट्री के प्रमुख केंद्र हैं. कंपनी के सूरत यार्ड की क्षमता 18,000 डेड वेट टनेज (डीडब्ल्यूटी) थी, जबकि दहेज में स्थित यार्ड की क्षमता 120,000 डीडब्ल्यूटी थी. 2008 के पहले के छह साल में एबीजी शिपयार्ड ने बल्क कैरियर्स, इंटरसेप्टर नौकाओं, पुशर टग और फ्लोटिला सहित 165 से अधिक जहाजों का निर्माण किया है. भारतीय और विदेशी कंपनियों के ऑर्डर से कारोबार में तेजी आई है.
ऑडिट रिपोर्ट से सामने आई जानकारी
हालांकि, वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान और उसके बाद कंपनी के लिए सब कुछ बदल गया, कंपनी को जल्द ही वर्किंग कैपिटल की कमी और ऑपरेशन साइकल में भारी बढ़ोतरी का सामना करना पड़ा. 2015 के बाद कंपनी की संकट और बढ़ गई. इसके बाद अर्न्स्ट एंड यंग (Ernst & Young) ने अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 की अवधि के कंपनी के वित्तीय आंकड़ों की फॉरेंसिक ऑडिट की. 18 जनवरी 2019 को अपनी रिपोर्ट 28 बैंकों के समूह के सामने रखी. इसी फॉरेंसिंक रिपोर्ट में यह निकलकर सामने आया कि कंपनी ने बैंक से लोन में लिए गए पैसों का डायवर्ट कर उनका इस्तेमाल दूसरे उद्देश्यों के लिए किया.
घोटाले का बैंकों पर क्या होगा असर
बैंक 2016 में एबीजी शिपयार्ड के अकाउंट को एनपीए घोषित कर चुके हैं. साथ ही इसके अकाउंट के लिए प्रोविजनिंग भी कर चुके हैं. इसका मतलब है कि बैंकों की बैलेंस शीट पर आगे कोई प्रभाव पड़ने का अनुमान नहीं है. जितना नुकसान होना था, हो चुका है और पहले से ही इसकी भरपाई की जा चुकी है. इस घटना से बैंकों को और झटका नहीं लगेगा.