Karnal – किराएदार से दुकान खाली कराने के लिए चार साल तक मुकदमा

नई दिल्ली, किराएदार से दुकान खाली कराने के लिए चार साल तक मुकदमा चलाने के बाद कोर्ट ने वादी पर ही 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि वादी ने चार साल में एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया और केवल कोर्ट का समय बर्बाद कर रहा था।

इसके साथ ही वह प्रतिवादी को परेशान करने की नीयत से बार-बार तारीख ले रहा था।

तीस हजारी स्थित प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश गिरीश कठपाडि़या की अदालत ने वादी को निर्देश दिया है कि वह जुर्माने की रकम को प्रतिवादी को मुआवजे के रूप में दे। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वादी के पास एक भी ऐसा दस्तावेज नहीं था जिससे प्रतिवादी के खिलाफ मामले को सुनने की कोई वजह हो। फिर भी वह लगातार तारीखें लेता रहा। इससे अदालत का समय, अदालती खर्च और प्रतिवादी के लिए मुश्किलें खड़ी हुई।

इसलिए प्रतिवादी को बेमतलब अदालती चक्कर में फंसाने का मुआवजा दिया जा रहा है। यह मामला दुकान के किरायेदार से दुकान खाली कराने के लिए दायर किया गया था। ये दुकान करोलबाग इलाके में स्थित है, जबकि मकान मालिक अपना मालिकाना हक ही साबित करने में असफल रहा। उसके पास जो दस्तावेज थे उनके मुताबिक वह सिर्फ किराया इकट्ठा करने की भूमिका में पाया गया था। पेश मामले में याचिकाकर्ता का कहना था कि वह दुकान का मालिक है। किरायेदार वर्ष 2000 से किराये के भुगतान नहीं कर रहा है। इसलिए उसे दुकान खाली करने का निर्देश दिया जाए।

अदालत ने कहा कि यह एक चलन सा हो गया है कि किसी को भी अगर कानूनी दांव-पेच में फंसाए रखना है तो अदालत में उसके खिलाफ याचिका दायर कर दो। अदालतें पहले से लंबित मामलों के अंबार से लदी पड़ी हैं। हर मामले को सुनने में समय लगता है। इसीलिए केवल दूसरों को परेशान करने के लिए अदालत में न जाएं।