Karnal- बड़ी खबर थाने-चौकियों में धार्मिक स्थलों को बनाए जाने को लेकर रिपोर्ट।

डीजीपी ने प्रदेश के सभी एसपी से धार्मिक स्थल को लेकर मांगा था जवाब, आधी अधूरी सूचना देकर की खानापूर्ति

  1.  थाने-चौकियों में धार्मिक स्थलों को बनाए जाने को लेकर रिपोर्ट।

 

हरियाणा के थाना-चैकियों में बिना अनुमति के बनाए गए 155 धार्मिक स्थलों का उठा विवाद पुलिस अधिकारियों के लिए गले की फांस बनता नजर आ रहा है। किस पुलिस अधिकारी के कार्यकाल में ये बनाए गए, इस अहम तथ्य को अधिकारी छिपा गए। हालांकि पुलिस अधीक्षकों (एसपी) ने अपनी रिपोर्ट में धार्मिक स्थल किस वर्ष बना, इसका उल्लेख तो किया है, लेकिन उस समय जिले या रेंज में किस अधिकारी के कार्यकाल में बना, इसकी आधी-अधूरी जानकारी दी गई है। केवल सिरसा के एसपी ने 4 जनवरी 2021 को अपनी रिपोर्ट में आइपीएस विकास अरोड़ा का जिक्र किया है। इसी कारण केवल विकास अरोड़ा से ही जवाब-तलब कर जांच का जिम्मा हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एचएसएनसीबी) के चीफ श्रीकांत जाधव को दिया गया है।

दरअसल, बिना अनुमति बने धार्मिक स्थलों का होना पंजाब पुलिस नियमावली 3.3(2) तथा आल इंडिया सिविल सर्विसेज कंडक्ट रूल्स 1968 का उल्लंघन है। इस प्रकरण में आधी-अधूरी रिपोर्ट पर ही जांच बैठा दी गई, जबकि ये धार्मिक स्थल किनके कार्यकाल में बने, इस गहराई में जाना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उचित नहीं समझा। इस प्रकरण की फाइल पुलिस महानिदेशक पीके अग्रवाल से लेकर राज्य के गृह सचिव राजीव अरोड़ा के टेबल तक गई। अब जांच अधिकारी इन तथ्यों को अपनी जांच का हिस्सा बनाएंगे या नहीं यह आने वाला समय बताएगा।

इस तरह शुरू हुआ विवाद

यह विवाद अंबाला के शहजादपुर थाने से शुरू हुआ था। आइपीएस अधिकारी वाई पूर्ण कुमार थाने में शिवलिंग स्थापना पर गए थे। उस समय के डीजीपी मनोज यादव ने वाई पूर्ण कुमार से जवाब-तलब किया था, जिसके बाद राज्य के सभी पुलिस अधिकारियों से थाना-चौकियों में बने धार्मिक स्थलों का ब्योरा इक्क्ठा किया गया। विवाद के बीच ही पीके अग्रवाल को डीजीपी पद की जिम्मेदारी मिल गई। अग्रवाल ने भी पुलिस अधिकारियों से धार्मिक स्थलों को लेकर फिर से जवाब-तलब किया।

121 मंदिर, तीन गुरुद्वारा और 31 पीर बने हैं

राज्य के सभी पुलिस अधिकारियों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक 121 मंदिर, 3 गुरुद्वारा और 31 पीर बने हुए हैं। डीजीपी ने यह भी सवाल किया था कि इन्हें बनाने से पहले अनुमति ली गई थी या नहीं। सभी एसपी ने अपनी रिपोर्ट में धार्मिक स्थल का नाम, किस वर्ष बने और कितने रकबे में बने हैं आदि को शामिल किया, लेकिन बनाने से पहले किस अधिकारी ने अनुमति दी या फिर किसके कार्यकाल में बने, इस जानकारी को छिपा लिया।

रिपोर्ट लौटाकर मांगे जा सकते थे अधिकारियों के नाम

इस विवाद में स्पष्ट हो गया कि ये धार्मिक स्थल किस वर्ष बने हैं, लेकिन अधिकारियों के नामों की रिपोर्ट जब जिला स्तर से पुलिस महानिदेशक कार्यालय को नहीं मिली थी तो उस समय अधूरी रिपोर्ट को लौटाना अफसरों ने जरूरी नहीं समझा। अधिकांश रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि पंजाब पुलिस की नियमावली 3.3 (2) के तहत अनुमति प्राप्त नहीं की गई। ऐसे में इन धार्मिक स्थलों को नियमित करने को लेकर भी पुलिस महानिदेशक की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव से पत्राचार किया जा चुका है।