उ.प्र. पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने राजधानी स्थित इंद्रलोक विद्युत कालोनी की सरकारी जमीन पर भू-माफिया द्वारा अवैध कब्जा किए जाने के मुकदमें में पैवरी नहीं किए जाने पर अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता सहित छह कार्मिकों को निलंबित कर दिया है। यह मुकदमा 1995 से चल रहा है जिसमें निलंबित किए गए कार्मिक पैरवी में घोर लापरवाही के दोषी पाए गए हैं। पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज ने इस मुकदमें की पैरवरी में शिथिलता पाए जाने पर अधीक्षण अभियंता सिविल मुख्यालय शक्ति भवन देवेंद्र प्रताप सिंह, अधिशासी अभियंता सिविल मुख्यालय शक्ति भवन अमित कुमार, उप खंड अधिकारी विद्युत निर्माण खंड प्रथम लखनऊ हितेंद्र वर्मा, अवर अभियंता विद्युत निर्माण खंड प्रथम अवधेश कुमार, खंडीय लिपिक मो. इरफान तथा उप खंडीय लिपिक आरके सिंह को निलंबित किए जाने का आदेश दिया है। इनके निलंबन का आदेश पावर करपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार जारी कर दिया है।
जांच में पाया गया है कि निलंबित कार्मिकों द्वारा इस मुकदमें में नामित अधिवक्ताओं से संपर्क कर प्रभावी पैरवी नहीं की गई, जिसकी वजह से लंबे समय से यह मुकदमा लंबित है। भू-माफिया द्वारा उक्त भूमि पर निर्माण किए जाने पर भी उसे रोकने के लिए कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई। आरोपियों को उ.प्र. सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया। निलंबंन के साथ ही आरोपी कार्मिकों के खिलाफ आगे की जांच करने का आदेश दिया गया है। निलंबन की अवधि में अधीक्षण अभियंता देवेंद्र प्रताप सिंह को निदेशक (का.प्र. एवं प्रशा.) से संबद्ध किया गया है। निलंबित कार्मिकों को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।