शिमला. हिमाचल प्रदेश सरकार एक बार फिर से कर्ज लेने जा रही है. सरकार ने हाल ही में नए कमीश्न देने की घोषणा की थी. लेकिन सरकार के पास पैसा नहीं है और अब कर्ज लेकर सरकारी कर्मचारियों को नया संशोधित वेतनमान दिया जाएगा. इस संबंध में गुरुवार को वित्त विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है. इससे पहले 23 दिसंबर को भी सरकार ने 1000 करोड़ रुपये का ऋण लेने की अधिसूचना जारी की थी.
नई अधिसूचना के अनुसार, सरकार के दोनों कर्ज दो अलग-अलग अवधि 12 और 15 साल तक चुकाए जाएंगे. विकास कार्यों के नाम पर लिए जा रहे इस कर्ज के लिए सरकार अपनी प्रतिभूतियों को गिरवी रखेगी. लगातार प्रदेश की वित्तीय हालत खराब हो रही है और सरकार कर्मचारियों के भुगतान के लिए लोन ले रही है. हिमाचल प्रदेश पर अब 65 हजार करोड़ रुपये कर्ज हो गया है.

नई अधिसूचना के अनुसार, सरकार के दोनों कर्ज दो अलग-अलग अवधि 12 और 15 साल तक चुकाए जाएंगे.
कब कब लिया कर्ज
इससे पहले, 26 अगस्त 2021 में भी सरकार ने 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. उसके बाद 18 नवंबर 2021 को 2000 करोड़ रुपये कर्ज लेने के लिए 500-500 करोड़ रुपये की चार अधिसूचनाएं की थी. बीते पांच महीने में सरकार ने 5000 करोड़ रुपये कर्ज लिया है. इस वजह से प्रदेश सरकार पर 65 हजार करोड़ से ज्यादा कर्जा चढ़ गया है.
विपक्ष ने उठाया सवाल
हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने अब फिर एक हजार करोड़ का ऋण लेने पर हैरानी जताते हुए कहा है कि भाजपा सरकार अपने ऐशो आराम के लिए प्रदेश को भारी कर्ज में डुबो रही है. राठौर ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से पूछा है कि वह प्रदेश को बताएं कि वह जो हर महीने कर्ज ले रही है, उसे वह कहां खर्च कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में बढ़ता कर्ज प्रदेश के विकास में एक ग्रहण साबित होगा. सरकार को अपने खर्चों पर अंकुश लगाते हुए फिजूलखर्ची को बंद करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर कर्ज की यही रफ़्तार रही तो वह दिन दूर नहीं होगा, जब प्रदेश पूरी तरह आर्थिक तौर पर गुलाम बन जाएगा.