KARNAL-51 करोड़ रुपये का पेमेंट ऐसे 30 वेंडर्स को किया गया, जिनका कोई वजूद ही नहीं

#BharatPe के मैनेजिंग डायरेक्टर अशनीर ग्रोवर की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। रिस्क एडवायजरी फर्म अल्वारेज एंड मार्शल की जांच में चौंकाने वाली चीजें सामने आई हैं। जानिए जांच में क्या-क्या सामने आया

BharatPe Shark Tank India BSEIndia National Stock Exchange Of India Limited Reserve Bank of India Unity Small Finance Bank #sharktankindia Alvarez & Marsal #marketsरिजर्व बैंक (RBI) भी भारतपे में कॉर्पोरेट गवर्नेंस के पालन का पता लगा रहा है। इसकी वजह है कि भारतपे यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक (Unity SFB) के प्रमोटरों में से एक है। आरबीआई बैंक का लाइसेंस तभी देता है, जब उसके प्रमोटर को फिट और प्रॉपर पाया जाता हैभारतपे के मैनेजिंग डायरेक्टर अशनीर ग्रोवर की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। रिस्क एडवायजरी फर्म अल्वारेज एंड मार्शल (A&M) की जांच में चौंकाने वाली चीजें सामने आई हैं। भारतपे कंपनी के प्रैक्टिसेज, अकाउंटिंग, एप्रूवल प्रोसेस, एक्सपेंसेज और हायरिंग की व्यापक जांच करा रही है। इसके लिए कंसल्टेंसी फर्म पीडब्लूसी (PwC) की सेवाएं भी ली जा रही हैं।उधर, रिजर्व बैंक (RBI) भी भारतपे में कॉर्पोरेट गवर्नेंस के पालन का पता लगा रहा है। इसकी वजह है कि भारतपे यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक (Unity SFB) के प्रमोटरों में से एक है। आरबीआई बैंक का लाइसेंस तभी देता है, जब उसके प्रमोटर को फिट और प्रॉपर पाया जाता है। उसका कॉर्पोरेट गवर्नेंस का रिकॉर्ड भी अच्छा होना जरूरी है।अल्वारेज एंड मार्शल (A&M) ने अपनी रिपोर्ट 24 जनवरी को भारतपे के बोर्ड को सौंपी थी। इसमें फाइनेंशियल फ्रॉड होने की जानकारी दी गई है। बताया गया है कि इसके दो मुख्य आधार हैं। इसमें से पहला रिक्रूटमेंट से घोटाले से जुड़ा है। दूसरा, ऐसे वेडर्स को पेमेंट से जुड़ा है, जो वास्तव में हैं ही नहीं। दरअसल, भारतपे की स्थापना के बाद से अशनीर ग्रोथ की पत्नी माधुरी ग्रोवर कंपनी में बड़ी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। वह प्रोक्योरमेंट और एडमिन डिपार्टमेंट की हेड थीं।भारतपे एचआर कंसल्टेंट्स के जरिए इंप्लॉयीज का रिक्रूटमेंट करती थी। इसके लिए वह एचआर कंसल्टेंट्स को फीस चुकाती था। जांच में पाया गया है कि कंपनी खुद स्टाफ की भर्ती करती थी। लेकिन इसके लिए फीस कई स्टाफिंग कंपनियों को चुकाई जाती थी, जिनका इस रिक्रूटमेंट से कुछ भी लेनादेना नहीं होता था। पता चला है कि ये कंपनियां आपस में जुड़ी हुई थीं और इनका कनेक्शन माधुरी ग्रोवर से था।एएंडएम ने रिक्रूटमेंट कंपनियों को चुकाई गई फीस के इनवॉयसेज को देखा है। भारतपे को ज्वाइन कर चुके कर्मचारियों ने इनवॉयस में दी गई ज्वानिंग तारीख को कनफर्म किया है। लेकिन, इन कर्मचारियों ने उन हायरिंग फर्मों के जरिए रिक्रूट किए जाने से इनकार किया है, जिन्हें भारतपे ने इसके लिए फीस चुकाई है। उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें इन फर्मों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।कम से कम तीन मामलों में पाया गया है कि माधुरी ग्रोवर ने वेंडर के ये इनवॉयसेज लिए थे। फिर, इन्हें पेमेंट के लिए अकाउंट टीम को फॉरवर्ड कर दिया था। ये कंपनियां ज्यादातर सोल प्रॉपराइटरशिप थीं। ये इनवॉयसेज श्वेतांक जैन ने तैयार किए थे, जो माधुरी के भाई हैं। इन रिक्रूटमेंट फर्मों के बीच कई तरह की समानताएं पाई गई हैं। उनके ईमेल एड्रेस, फिजिकल एड्रेस, फॉरमैट्स, बैंक ब्रांचेज आदि एक जैसे हैं। सबसे खास बात यह कि ये सभी पानीपत में हैं। यह भी पता चला है कि माधुरी असल में पानीपत की रहने वाली हैं।इन्वेस्टिगेशन में पाया गया है कि सिर्फ दो वेंडर को उस काम के लिए भारतपे की तरफ से करीब 4 करोड़ रुपये के पेमेंट किए गए, जो कभी किए ही नहीं गए थे। यह भी सामने आया है कि करीब 51 करोड़ रुपये का पेमेंट ऐसे 30 वेंडर्स को किया गया, जिनका कोई वजूद ही नहीं है। इन वेंडर्स को किए गए पेमेंट को डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने पकड़ा था। भारतपे ने सर्विस टैक्स की डिमांड को चैलेंज करने के बजाय पेनाल्टी के साथ 11 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान किया।21 अक्टूबर, 2021 को डीजीसीआई की सर्च में इन गडबड़ियों का पता चला था, कोटक वेल्थ मैनेजमेंट के साथ अशनीर ग्रोवर की कानूनी लड़ाई शुरू होने के ठीक 10 दिन पहले। डीजीजीआई ने टैक्स चोरी के आरोप में कंपनी के अधिकारी को 1 नवबंर को नोटिस भेजा था। कंपनी ने डीजीजीआई को 11 नवंबर को नोटिस का जवाब भेजा था। इस लेटर पर दीपक जगदिशराम का सिग्नेचर था। एएंडएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि गुप्ता प्रोक्योरमेंट के लिए जिम्मेदार था, वह माधुरी का ब्रदर-इन-लॉ है।शुरुआती जांच में यह पाया गया है कि 30 वेंडर्स से जुड़ा कुल एक्सपेंडिचर 53.25 करोड़ रुपये था। एएंडएम ने भारतपे के बोर्ड को व्यापक जांच की सलाह दी है। इससे यह पता लगेगा कि कंपनी क्यों ऐसे वेंडर्स को पेमेंट कर रही थी, जिनका वजूद ही नहीं है।