नई दिल्ली. एनएसई घोटाला (NSE Scam) मामले में सेबी के पूर्व प्रमुख एम दामोदरन (M Damodaran) का कहना है कि हिमालय वाले बाबा के मामले में बाजार नियामक की जांच में जिन-जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उन्हें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) से बाहर कर देना चाहिए. इसके साथ ही एक्सचेंज के अधिकारियों को दी गई शक्तियों (पावर) पर भी फिर से विचार करना चाहिए.
पूर्व सेबी प्रमुख ने कहा कि एनएसई को नियामक के आदेश में उन सभी नामों पर सख्ती से विचार करना चाहिए और उन्हें बाहर निकाल देना चाहिए. आगे ऐसी स्थितियां फिर से उत्पन्न न हो, इसलिए नियामक को पर्याप्त चेक एंड बैलेंस (checks and Balances) सुनिश्चित करना चाहिए.
नियमों का उल्लंघन
सेबी ने 15 फरवरी के अपने आदेश में कहा था कि एनएसई में विचित्र प्रकार के कदाचार (मिसकंडक्ट) का मामला सामने आया है, जो नियमों का उल्लंघन है. नियामक ने दावा किया कि 2013 से 2016 तक एनएसई की अगुवाई करने वाली चित्रा रामकृष्ण ने हिमालय के एक कथित आध्यात्मिक गुरू के साथ बाजार के वित्तीय अनुमानों, बिजनेस प्लान और बोर्ड के एजेंडा सहित कई अन्य जानकारियां साझा की.
इतनी बड़ी चूक की जांच जरूरी
दामोदरन ने कहा कि मुझे नहीं पता योगी कौन है. लेकिन, एनएसई को इसकी जांच करनी चाहिए कि इतनी बड़ी चूक कैसे हुई. यह बात समझ से परे है कि एनएसई प्रबंधन को इतनी और इस तरह की छूट कैसे मिल गई कि उन्होंने गोपनीय जानकारियां बाहरी लोगों से साझा की थी.
आनंद की भूमिका पर भी सवाल
दामोदरन ने आनंद सुब्रमण्यम की भूमिका पर भी सवाल उठाया है, जो बामर और लॉरी में मिड लेवल मैनेजर थे और हर साल 15 लाख रुपये कमाते थे. एनएसई में आने के बाद उन्हें 1.68 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया. उन्होंने कहा कि हर कोई जानता था कि क्या हो रहा था, लेकिन किसी ने इसे चुनौती देना उचित नहीं समझा. किसी ने भी सुब्रमण्यम की असाधारण शक्ति पर सवाल नहीं उठाया.